बेंगन की जैविक खेती
नमस्ते, दोस्तों हमारी इस पोस्ट मे आप सब का हार्दिक स्वागत है. तो आज हम एक ऐसी फसल के बारे मे बात करेंगे जिसका स्वाद ऐसा है की खाने वाला कभी भूलता नहीं. जिसका नाम रखा गया बेंगन जिसमे ज्यादा गुण तो नहीं लेकिन फिर भी इसे खाने वाले भरता और इसकी सब्जी बड़े चाव से खाते है. तो दोस्तों आज हम बात करेंगे बेंगन की खेती की.
बैगन में कोई ख़ास गुण नहीं है लेकिन जो भरता बनाया जाता है उसमे लहसून का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। और इस वजह से यह हमारी पाचनक्रिया के लिए बहुत लाभदायक हो जाता है। तो दूसरी चीज़ो के साथ मिलकर बेंगन स्वादिष्ट बनता है और हमारे लिए लाभदायी भी बन जाता है। इसी तरीके से जो बेंगन की कलोंजी तैयार की जाती है उसे भरा हुआ बेंगन भी कहते है उसमे भारतीय मसाला पीस करके भरते है तो यह बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बन जाता है।
बेंगन की खेती का सही समय
दोस्तों अभी तो भारत में सालभर बेंगन मिलता रहता है लेकिन इसका सही समय साल में 3 बार होता है यानि की साल में 3 बार आप इसकी खेती कर सकते है। एक सरदकालीन , दूसरा ग्रीष्मकालीन और तीसरा वर्षाकालीन। जो शरदकालीन समय है उसमे मई या जून में फसल डाल दी जाती है और जून जुलाई में इसकी रोपाई की जाती है। वर्षाकालीन जो फसल है उसे नवम्बर या दिसंबर में नर्सरी डाल दी जाती है और दिसंबर या जनवरी में इसकी रोपाई की जाती है।
दोस्तों बेंगन को किसी और फसल के साथ नहीं लगाना चाहिए क्योकि बेंगन जो है वह बढ़ने वाला पौधा है छोटा पौधा नहीं है। तो इससे यदि हम कोई और फसल विक्सित करेंगे तो हमको इसकी पैदावार अच्छी नहीं मिल पायेगी।
बेंगन की खेती का सही तरीका
सबसे पहले जरुरी है की बेंगन की नर्सरी तैयार करे जो नर्सरी तैयार करते है उसमे पूरा ध्यान रखे की हमारे खेत से क्यारी की ऊंचाई 5 सेंटीमीटर बड़ी होनी चाहिए। और हमारी एक मीटर की चौड़ाई होनी चाहिए और 10 मीटर चौड़ाई होनी चाहिए। इस तरीके से जब क्यारी बना लेते है तब उसमे गोबर की खाद डालना न भूले और यह भी देखले की उसमे पर्याप्त मात्रा में नमी है की नहीं।
अब क्यारिया बनायीं है नर्सरी के लिए उसमे बीज की बुआई करते है। बुआई करने के बाद इसको सदी हुई गोबर की खाद जिसमे 75 प्रतिशत मिटटी हो और 25 प्रतिशत गोबर की खाद को मिलाके ऊपर से ढँक देना चाहिए उसके बाद कोई भी सूखी हुई घास या कुछ भी डाल दीजिये। जब तक हमारा अंकुरण नहीं हो जाता है तब तक बिछावन को ऐसे ही रहने दीजिये और निचे से ही पानी की सिंचाई करते रहे।
बेंगन की खेती में उर्वरक का इस्तेमाल
सबसे पहले मिटटी पलटनेवाले हल से जुताई होती है और उसी समय गोबर की खाद को बखेर करके अच्छी तरह से खेत में मिला देते है। उसके बाद दो या तीन जुताई देशी हल से कल्टीवेटर इस्तेमाल करके खेत को भुरभुरा कर लेते है। इसके पश्चात जब रोपाई होती है तब
150 किलो नाइट्रोजन
60 किलो फॉस्फेट
60 किलो पोटाश की जरुरत पड़ती है तो उसमे भी यह आवश्यक है उसमे भी रोपाई से पहले 50 किलो नाइट्रोजन और 60 किलो फॉस्फेट और पोटाश खेत में मिला देते है। और सेष बचत नाइट्रोजन की बचती है उसमे से 50 किलो नाइट्रोजन 30 दिनों बाद और उसके 30 दिनों बाद बाकि नाइट्रोजन का छिंटकब मजदूरों के द्वारा करवा दी जाती है। तो इस तरीके से उर्वरक देने से आपको ज्यादा लाभ मिलेगा।
बेंगन की प्रजाति
बेंगन में लम्बे फल वाली एक वेरायटी आती है जिसका नाम है पंथ सम्राट। यह प्रजाति विश्वविद्यालय के द्वारा निकाला गया है। और यह 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी उपज 350 क्विंटल प्रति हेक्टर होती है। लेकिन यह सिर्फ उसी क्षेत्र के लिए है जहाँ कलोंजी तैयार की जाती है मतलब की भरा हुआ बेंगन जहाँ पर खाया जाता है यह उस क्षेत्र के लिए है।
उसके बाद गोल फल वाली हमारी प्रजातियां है जिसमे ऋतुराज है। यह भी 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है और इसकी उपज 400 क्विंटल पर हेक्टेयर है। इसी तरह से ks 200 है। और एक हरे रंग की वेरायटी आती है जिसे बनारस जॉइंट कहा जाता है।
जैविक दवा का छिंटकाव
बेंगन में जैविक दवा का छींटकाव करने के लिए जो निमौली होती है उसे 40 ग्राम पीसके 1 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर पौधे के ऊपर छींटकाव करना शुरू करदे तो इससे बेंगन पर कोई भी कीटाणु नहीं बैठेगा और आपको रासायनिक दवाओं का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा।
बेंगन में पौधे से पौधे की दूरी 75 सेंटीमीटर होती है और जो रोपाई हम लाइन में करते है उसके बाद बेंगन का पौधा 30 दिनों का हो जाता है तो यह आवश्यक है की निकै गुड़ाई कर रहे है उस वख्त पौधे पर मिटटी चढ़ा दे नहीं तो जब फल आएंगे और हवा चलेंगी तो पौधा गिरने की संभावना रहती है इसलिए निराई गुड़ाई करते वख्त पौधे पर मिटटी जरूर चढ़ा दीजिये।
➤ दोस्तों कई लोग कहते है की सब्जी को जल्दी बड़ा बनाने और उसको जल्दी बाजार में लाने के लिए किसान इंजेक्शन का इस्तेमाल करता है मगर में आपको स्पष्ट करदू की ऐसा इंजेक्शन अभी बेंगन की खेती में नहीं आया है लेकिन लोकि में यह इंजेक्शन दिया जाता है और यह इंजेक्शन रात को दिया जाता है जिससे लोकि की लम्बाई जल्दी से बढ़ जाती है इसीलिए दोस्तों लौकी का सेवन करते समय यह ख़ास ध्यान रखे।
मगर बेंगन की खरीदी करते वख्त आप यह बात ख़ास ध्यान रखे की यदि बेंगन ज्यादा ही चमकीला है तो उसमे रसायनो का प्रयोग किया गया हो सकता है इसीलिए बेंगन खरीदते समय हमारे यहाँ मार्किट में जैसा मिलता है वैसा ही ले ज्यादा चमकीली चीज़ो पर ध्यान ना दे।
दोस्तों आज की इस पोस्ट में हमने आपको बताया की बेंगन की खेती कैसे की जाती है और इससे ज्यादा मुनाफा कैसे पाए तो आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताये , धन्यवाद।
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