बंदगोभी या पत्ता गोभी के बारे में जानकारी
नमस्ते , दोस्तों आज हम पत्ता गोभी के बारे में और उसकी खेती किसानी की जाती है उसके बारे में जानकारी देंगे। दोस्तों हम सभी जानते है की हमारे किसान दोस्त खेतो में कितनी मेहनत से फसल तैयार करते है। बावजूद इसके उन्हें अच्छा मुनाफा नहीं मिलता शायद इसके पीछे कही न कही वजह हे जानकारी न होना आज हम अपने इस पोस्ट में बताएंगे बंदगोभी या पत्ता गोभी की खेती की।
बंदगोभी में एक पदार्थ होता है सिनिग्रिन ग्लूकोसाइड जिसकी वजह से इसका स्वाद उत्तम हो जाता है। और यह बंदगोभी जो है वह सलाद के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है और उसके और भी व्यंजन बनते है।
बंदगोभी के लाभकारी तत्व
- प्रोटीन
- वसा
- कार्बोहायड्रेट
- आयरन
- कैल्शियम
- मेग्नेशियम
- सोडियम
बंदगोभी की खेती के लिए मिटटी की जानकारी
बंदगोभी की खेती बलवार जमीन से लेकर मठियार जमीन में भी इसकी खेती की जा सकती है। लेकिन यह आवश्यक है की मिटटी आमालिय न हो ! मिटटी आमालिय होगी तो बंदगोभी की उपज बहुत कम आएगी।
मिटटी की तयारी कैसे करे ?
बंदगोभी में सबसे पहले यह देख लेना चाहिए की हमारी मिटटी अमली या क्षरी तो नहीं है। अगर उसका ph 6 /5 या 7 /5 है तो मिटटी बहुत ही फायदेकारक है।
बंदगोभी के लिए सामान्य उर्वरा स्तर
- 120 किलो नाइट्रोजनं
- 60 किलो फॉस्फेट
- 60 किलो पोटाश
Patta Gobhi ki kheti
बंदगोभी में खेत की तयारी से पहले 300 क्विंटल पर हेक्टर गोबर की खाद अथवा कम्पोस खाद खेत में अवश्य मिला दी जाए। खेत तैयार करने के बाद उर्वरा स्तर 60 किलो नाइट्रोजन , 60 किलो फोस्फरस , 60 किलो पोटाश रुपाई के पहले खेत में मिला दीजिये उसके बाद जो 60 किलो नाइट्रोजन रह जाती है उसको ठीक एक महीने के बाद देते है। खाद की मात्रा ज्यादा होने पर खेत में कोई हानि नहीं होगी लेकिन कम उर्वरक मिलाने पर गोबी का मुँह पतला रहेगा या फिर आसान भासा में गोबी की उपज में कटौती होगी।
How to make cabbage seeds
पत्ता गोबी की दो प्रकार की जाती है। एक है अगैती जात और एक पिछैती जात। अगैती जात जो है वह 60 से 80 दिन के अंदर पक जाती है। और पिछेती जात है वह 100 से 120 दिन तक में पक जाती है।
अगेती जात की किस्म
- प्राइम ऑफ़ इंडिया
- गोल्डन एकड़
- अर्ली ड्रेगेड
- मीनाक्षी
पिछेती जात की किस्म
- लेट ड्रेगेड
- डेनिस वोल्हेड
- मुक्ता
- पूसा ड्रेमेड
- रेड कैबेज
- पूसा हिलग्रुप
- कोपेनहेगन मार्किट
सबसे पसंद की जाने वाली जात
अगेती जात में गोल्डन एकड़ सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। और अगेती जात में मुक्ता और पूसा हिलग्रुप यह दो जात पसंद की जाती है। . एक हेक्टर के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीज डायरेक्ट नहीं होता है पहले इसके पौधे तैयार किये जाते है तो पौध तैयार करने के लिए इसको खेत में क्यारिया बनाते है और क्यारी में बीज को हम डालते है। बीज को बहुत घना करके क्यारी में डाला जाता है। उसमे पेड़ से पेड़ मिला होता है जब वह पेड़ तैयार हो जाता है चार पांच पति के हो जाते है तब उसकी रोपाई होती है।
इसके लिए यह आवश्यक है की 10 से 15 सेंटीमीटर जमीन की सतह से ऊँची क्यारिया बनाए। 1 महीने के अंतर्गत पौध तैयार हो जाती है। उसके बाद पौध रोपण के लिए तैयार है।
पत्तागोभी के पौधे कैसे लगाए ?
अगैती फसल के लिए 45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे दूरी और 45 सेंटीमीटर पंख से पंख की दूरी पर पौधे लगाए। और पिछेती फसल के लिए 60 सेंटीमीटर पौधे से पौधा और 60 सेंटीमीटर पंख से पंख की दूरी रखकर पौधे बुआई करे।
पत्तागोभी की सिंचाई कैसे करे ?
पत्तागोभी की सिंचाई करने के लिए यह बहुत आवश्यक है की खेत बिलकुल सूखा नहीं रहना चाहिए। 10 से 15 दिन के अंतर्गत पानी की सिंचाई करे। यदि मौसम गर्मी का हो तो प्रत्येक सप्ताह में एक बार सिंचाई करे। पत्तागोभी की खेती में लगभग 10 से 12 बार सिंचाई होती है तब जाकर यह एक पूर्ण पत्तागोभी बनता है।
पत्तागोभी को खरपतवार से कैसे बचाये ?
बंदगोभी में 2 या 3 निकै गुड़ाई करनी चाहिए जिससे मिटटी भुरभुरी बनी रहे। यही पर्याप्त है खरपरत्वर के लिए जैसे ही उसका मुँह दिखे उस पर मिटटी चढ़ाना शुरू कर देना चाहिए। ताकि पेड़ न गिरे। बंदगोभी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुचनेवाला कीट है मावु। और यह मावू पत्तो में लग जाता है तो भीतर जाकर पत्तो को चूसना शुरू क्र देता है। और इससे इसकी वृद्धि रुक जाती है। इसके लिए दवा से छिंटकव कर देना चाहिए और इससे में कोई अन्य कीड़ो की दवा डालने की जरुरत नहीं है।
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